वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं । जय जय जय हनुमन्त अगाधा, दु:ख पावत जन केहि अपराधा । जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥ लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥ संकटमोचन अष्टक You need https://stephenvbsgt.full-design.com/examine-this-report-on-hanuman-mantra-75233595