कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।। सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला https://shivchalisas.com